नई दिल्ली: हाल ही में बिहार की नीतीश कुमार सरकार में शिक्षा मंत्री बने मेवालाल ने अपने ओहदे से इस्तीफा दे दिया है. नई सरकार में शिक्षा मंत्री बने डॉ मेवालाल चौधरी (Dr. Mewalal Chaudhary) ने भ्रष्टाचार के लगे आरोपों के कारण गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया है। मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को ही अपना पदभार ग्रहण किया था।भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों के बीच बिहार के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी बुधवार शाम मुख्यमंत्री आवास यानि एक अणे मार्ग पहुंचे थे। इस दौरान उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ करीब आधे घंटे की मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद से ही ये कयास लग रहे थे आखिर उनके बीच क्या बात हुई। इसी बीच गुरुवार को मेवालाल चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मेवालाल चौधरी पर सबौर विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए नियुक्ति घोटाले में मामला दर्ज हुआ था। ये केस भागलपुर ADG-1 के पास विचाराधीन है और फिलहाल चार्जशीट का इंतजार किया जा रहा है।
याद रहे की आज ही उन्होंने पदभार संभाला था और दस मिनट भी कुर्सी पर नहीं बैठे ,मीडिया वालों से बात और फिर सीएम नितीश कुमार से मिल कर इस्तीफा दे दिया
विवादों में घिरे शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी ने आज ही पदभार ग्रहण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जो हमारे खिलाफ बोल रहे हैं और यह कह रहे है कि मेरी पत्नी की मौत के लिये मैं जिम्मेवार हूं, उनके खिलाफ आज ही 50 करोड़ की मानहानि का केस करूंगा और आज ही उनके पास लीगल नोटिस जाएगा, लेकिन शाम होते होते उन्होंने इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है. आपको बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति रहते समय मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उनपर एफआईआर भी दर्ज हुई थी. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से उन्हें निलंबित कर दिया गया था. यही वजह है कि विपक्ष लगातार नीतीश सरकार को टारगेट पर ले रही है. यही नहीं, तेजस्वी यादव लगातार मेवालाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उठा रहे हैं. आज भी उन्होंने इस मसले पर ट्वीट कर हमला बोला है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हत्या और भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में IPC की 409, 420, 467, 468, 471 और 120B धारा के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाने से बिहारवासियों को क्या शिक्षा मिलती है?
मेवालाल पर हैं ये आरोप
गौरतलब है कि तारापुर के नवनिर्वाचित जेडीयू विधायक डॉ मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है. राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वह भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए. इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए. लेकिन, चुनाव जीतने के बाद डॉ चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित किए गए. कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था. इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी.