कोरोना वायरस महामारी के दौरान तब्लीगी जमात की मीडिया कवरेज को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे को लेकर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सरकार को टीवी पर ऐसी सामग्री से निपटने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘पहले तो आपने उचित हलफनामा दाखिल नहीं किया और अब आपने ऐसा हलफनामा पेश किया जिसमें दो महत्वपूर्ण सवालों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। यह कोई तरीका नहीं है।’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम आपके जवाब से संतुष्ट नहीं है।’ न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमयण्म भी इस पीठ का हिस्सा थे।न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “हम आपके शपथ पत्र से संतुष्ट नहीं हैं। हमने सरकार से पूछा था कि उसने केबल टेलीविजन अधिनियम के तहत क्या किया है? लेकिन हलफनामे में इस बारे में एक शब्द नहीं है। हम इन मामलों में केंद्र के हलफनामे से निराश हैं.गौरतलब है कि न्यायालय ने केंद्र सरकार से केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत ऐसे मीडिया संगठनों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा था।न्यायालय ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।